सर,मेरा नाम लख्मीचंद है मुझ पर १३८ का एक मामला दर्ज है जिसमे मामला दायर करने वाले का बयान हो चूका है मेने दूसरा वकील कर लिया है ..वकील मामला दर्ज कराने वाले का दोबारा बयान करवाना चाहता है, परन्तु अपील ख़ारिज होती नजर आ रही है यदि दोबारा बयान होता है तो मुझे न्याय मिल सकता है क्योकि मेने २४१२०० का चेक दिया था ९०००० नकद दिया था १५१२०० का दूसरा चेक दिया फिर २४१२०० का चेक कैंसल कर करके १५१२०० का चेक बाउंस हुवा है पर मामला दायर करने वाले ने ९०००० नकद का कही भी जिक्र नहीं किया ..न न्यायलय में न ऑडिट रिपोर्ट में …दोबारा बयान होगा तो सच सामने आ सकता है में बच सकता हु ..मेरी मदद कीजिये सर
जब किसी चेक का पार्ट पेमेंट किया जाता है तो उस कारन से चेक पर लायबिलिटी समाप्त नहीं होता है। Ramnarayan Madanlal Khandelwar vs.Proprietor Daulat Enterprise, 2005 (4) Mh L.J. 796) लेकिन किसी विषय पर यदि गवाह ने किसी तथ्य को छिपा लिया है तो उसको पुनः परिक्षण करने के लिए परक्राम्य लिखत की धारा १४५(२) के तहत दरखास्त दे सकते हैं। यदि न्यायलय को लगता है की गवाह के वयं लेना चाहिए या किसी तथ्य को छिपा लिया है तो उसे बयानहल्फी पर बयान देने के लिया आदेश दे सकता है।
आपको साबित करना होगा की किस तरह से गवाह का बयान मामले की लिए आवश्यक है। यदि कंप्लेंट में २४१२०० रूपये के चेक का वर्णन किया गया है तो ये पूरा केस quash हो जायेगा क्योकि परिवाद का आधार ही गलत है। यदि १५२२०० के चेक पर परिवाद किया गया है तो कोई विशेष लाभ नहीं मिल पायेगा।